हेमंत सोरेन ने अपने कार्यकाल में स्थानीय और जनजातीय भाषाओं की उपेक्षा की थी : भाजपा

लातेहार। भाजपा ने प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर राज्य की स्थानीय और जनजातीय भाषाओं को उपेक्षित करने का आरोप लगाया है।पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने लातेहार में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हेमंत सोरेन का यह आरोप हास्यास्पद है कि राज्य सरकार स्थानीय और जनजातीय भाषाओं को तरजीह नहीं दे रही है। उन्होंने हेमन्त को याद दिलाया कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने जेपीएससी की परीक्षा में स्थानीय और जनजातीय भाषाओं के वेटेज परसेंटेज को कम कर दिया था। रघुवर दास ने मुख्यमंत्री बनने के बाद तुरन्त हेमंत सरकार के इस आदिवासी मूलवासी विरोधी निर्णय को निरस्त करते हुए जेपीएससी परीक्षा में स्थानीय और जनजातीय भाषा के पुराने वेटेज को बहाल किया था।

 शाहदेव ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने जेपीएससी में सीसैट प्रणाली को लागू कर दिया था, जो कि आदिवासी मूलवासी विरोधी थी। उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार ने ट्राईबल रीजनल लैंग्वेज डिपार्टमेंट में 29 नए पदों को सृजित किया। 3.58 करोड़ की लागत से नए भवन का भी निर्माण हो गया है। 2.5 करोड़  के फंड की अलग व्यवस्था की गई है, ताकि विभाग का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो सके और जो शोधकर्ता अपनी किताबें या शोध पब्लिश कराना चाह रहे हैं उन्हें भी सहायता मिल सके।

अलग-अलग भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर स्थानीय भाषाओं के नौ अलग विभागों की भी संरचना हुई। उन्होंने कहा कि वास्तविक रूप में स्थानीयता के मुद्दे पर राजनीति करने वाले हेमंत सोरेन ने ना तो स्थानीय नीति को परिभाषित किया था ना ही यहां के आदिवासी मूलवासियों के विकास के लिए कोई कदम उठाया। अब चुनाव में अपना सफाया देख करवह अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि भाजपा को यह नहीं पता है कि हेमंत सोरेन ने 14 महीने के अपने कार्यकाल में स्थानीय भाषाओं के विकास के लिए कुछ भी किया है। अगर उन्होंने किया है तो वह सार्वजनिक रूप से बताएं भी। प्रेसवार्ता में पूर्व मंत्री बैजनाथ राम, 20 सूत्री के जिला उपाध्यक्ष राजधानी प्रसाद यादव, प्रेमचंद पांडे, कल्याणी पांडे, मनोज कुमार, विवेक चंद्रवंशी उपस्थित थे।

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